Friday, April 17, 2009

जनता की चरण पादुका

जैदी के इराकी जूते के बाद अब हिंदुस्तान में कुछ लोगो ने नेताओं की ओरअपने जूते उछाले
बेशक समर्थन करना ठीक नही हम एक सभ्य समाज में रहते हैं और आगे भी समाज को सभ्य बनाना चाहते हैं
लेकिन अगर ये पूछा जाए कि सभ्यता का जितना मजाक उनलोगों ने उड़ाया जिन्होंने जूते झेले तो आप भी असहमत नही होंगे
सवाल ये भी है कि क्या किसी भी और तरह से एक आम आदमी के पास विरोध करने का ऐसा सशक्त हथियार मौजूद है जिससे एक जैदी बुश जैसे किसी शख्स को अपना विरोध प्रकट कर सकता हो
बेशक इस हरकत को समर्थन देने कि जरुरत नही लेकिन इस पर दोनों ओर से सोचने कि जरुरत तो है--सभ्यता के नियंताओं कीतरफ से ही नही उस जनता के तरफ़ से भी जिसे विरोध करने के मान्य रास्तों की तरफ़ जाने की हकीकत का अंदाजा है
दोस्तों एक तरफ़ खड़े होकर विरोध के इस फूहड़ तरीके का विरोध कर देना भर काफ़ी नही
ऐसे विरोध की स्थिति तक पहुँचा देनेवालों की भी तो पेशी हो
आख़िर ज़न्नत की हकीकत क्या आपको पता नही
हरकत का विरोध कर देने की बजाय इस पर बात करें किऔर क्या क्या रास्ते हैं और उन रास्तो का अन्तिम परिणाम क्या सचमुच महत्व रखता है उनलोगों के लिए जिनसे विरोध दर्ज किए गए
बात इतनी भी सीधी नही ....क्यों!

1 comment:

  1. jute ki tasir waise to buri hai,par miya ham to itna jante hai ki satta ne hamare sare vaidhanik hathiyar pahle hi dalwa liye hai ,to kunthit,apmanit,pratadit samaj ki or se ek juta hi sahi.adab aurj hai.

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